S Jaishankar and Narendra Modi

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के विपरीत कहा है कि लद्दाख में हालात बहुत ही गंभीर हैं और 1962 के युद्ध के बाद की सबसे चिंताजनक स्थिति है।

अपनी किताब के लांच से पहले रिडिफ डॉट कॉम से बातचीत में एस जयशंकर ने कहा कि, “निश्चित रूप से 1962 के बाद के ये सबसे गंभीर हालात हैं। दरअसल 45 साल बाद इस सीमा पर सैनिकों की जान गई है। दोनों तरफ से इस सीमा पर सेना का जमावड़ा अभूतपूर्व है।”

उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद का हल यथास्थिति को बहाल रखते हुए सभी समझौतों और समझ के आधार पर ही संभव है। विदेश मंत्री ने कहा, “आप जानते हैं कि हम चीन से सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। दरअसल दोनों के बीच तालमेल है।”

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून में हुई सर्वदलीय बैठक में एलएसी के हालात पर कहा था कि, “न कोई वहां हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में हैं।”

इसके अलावा मीडिया में एक सैन्य अधिकारी के हवाले से कहा गया था कि, “पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) तिब्बत के ग्यानसे में ब्रिगेड आकार का फौजी किला निर्मित कर रही है जो कि पैदल सेना के काम आता है। इसका निर्माण जनवरी 2020 में शुरु हुआ है और इसके 2021 बसंत तक पूरा होने की संभावना है।” ध्यान रहे कि इस नए फौजी किले में 6 बटालियान, 600 वाहन और फौजी साजो-सामान जमा हो सकता है।

इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि सिर्फ लद्दाख में ही नहीं पीएलए पूर्व सीमा पर भी कुछ निर्माण कर रहा है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, “नई ब्रिगेड ऐसे बिंदु पर है जहा से पीएलए अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी हिस्से और सिक्किम तक पहुंच बना सकता है। भारत और चीन के बीच अरुणाचल में आने वाला तवांग विवाद की विषय रहा है।”

रिपोर्ट में बताया गया कि, “जून और जुलाई में सामने आई तस्वीरें पुष्टि करती हैं कि चीन पूर्वी क्षेत्र के सीमावर्ती इलाकों में कई बिंदुओं पर निर्माण कर रहा है। ”

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